अर्चना वर्मा अर्चना वर्मा का लेखन
राजद्रोह
राजा बहुत भला था राजा की
इच्छा थी एक ही ऐसी उद्दाम कि
अभी इसी वक्त प्रजा हो सुखी इतनी
और ऐसी कि पहले वह जैसी
कभी नहीं थी.
राजा की मुनादी थी, सुख है
सब ओर, सिर्फ सुख ही सुख
ऐसी पहले तो न था मगर
आगे बस ऐसी ही होगा
सुख के सिवा कुछ भी
नहीं होगा.
मुझे उम्रकैद की सज़ा मिली
क्योंकि मेरी आखों में
एक बूंद आंसू आया था.
उन्होंने मेरा जुर्म
राजद्रोह बताया था.
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