अरुण चढ़्ढ़ा की डाकूमैंट्री फ़िल्मेंराष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फ़िल्म निर्माता और निर्देशक अरुण चढ़्ढ़ा की डाकूमैंट्री फ़िल्में

अरुण चढ़्ढ़ा का जन्म १९५० में मेरठ में हुआ। पूना फ़िल्म इन्स्टिट्यूट से पढ़ने के बाद सन् १९८० के आसपास वह वृतचित्र यानि डाकूमैंट्री फ़िल्में बनाने में जुट गये। पिछले चालिस से अधिक वर्षों में उन्होंने दसियों फ़िल्में निर्देशित की हैं। उन्होंने एक टीवी सीरियल, हिंदी लेखिका मैत्रियी पुष्प की जीवनी पर आधारित "कस्तूरी कुँडल बसे" भी निर्देशित किया है।

सन् २००० में उनकी फ़िल्म "मैं शर्म क्यों करूँ" (The Shame is Not Mine) जो कि ब्लात्कार की शिकार राजस्थान की एक युवती नीता की समाज से लड़ते हुए आत्मसशक्तिकरण की कहानी पर आधारित थी, को मुम्बई अंतर्राषट्रीय फ़िल्म फेस्टिवल में सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म का स्वर्ण शंख पुरस्कार मिला था।

सन् २००४ में उनकी डाकूमैंट्री फ़िल्म "स्वयं", जोकि ग्रामीण नारी गुटों की आत्मसशक्तिकरण, पैसे बचाने और अपने पैरों पर खड़ा होने की कोशिशों के विषय पर थी, को सर्वश्रेष्ठ डाकूमैंट्री का भारत का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था।

सन् २०१२ में उनकी डाकूमैंट्री फ़िल्म "प्रेम और चाहत के मानसचित्र" (Mindscapes of Love and Longing) जो कि विकलांग व्यक्तियों के यौन जीवन, विवाह तथा परिवार बनाने की इच्छाओं और कोशिशों के विषय पर थी को भी सर्वश्रेष्ठ डाकूमैंट्री का भारत का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था।

आज भी, यानि २०२३ में, अरुण डाकूमैंट्री फ़िल्में बनाने में लगे रहते हैं। इसके अतिरिक्त वह भारतीय तथा विभिन्न देशों के फ़िल्म फैस्टिवलों में फ़ल्मों के चुनाव तथा जूरी का हिस्सा बन कर भाग लेते रहते हैं।

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