कल्पना की लिन्क

(1) कल्पना का फेसबुक पृष्ठ -

(2) सुनील का फेसबुक पृष्ठ -

(3) सुनील का वैज्ञानिक तथा चिकित्सा सम्बंधी लेखन -

(4) Arre Kya Baat Hai - Sunil's English blog for his writings

(5) Awaragi - Blog in Italiano per gli scritti di Sunil

(6) Jo Na Keh Sake (जो न कह सके) - Sunil's Hindi Blog (हिंदी लेखन)

(7) सुनील का ट्वीटर पृष्ठ

(8) सुनील का इन्स्टाग्राम पृष्ठ

(9) सुनील का लिन्कड-इन पृष्ठ

परिचय: कल्पना एवं डॉ. सुनील दीपक - सृजनात्मकता और सामाजिक दायित्व की वेबज़ीन

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कल्पना वेबपत्रिका के निर्माता डॉ.सुनील दीपक हैं जो भारतीय मूल के लेखक, उपन्यासकार व सेवा निवृत डॉक्टर हैं और इटली में रहते हैं। कल्पना तीन भाषाओं में है - हिंदी, अंग्रेज़ी और इतालवी। कल्पना का कोई व्यवसायिक ध्येय नहीं है और यहाँ पाठकों व आगंतुकों के बारे में किसी तरह की कोई जानकारी एकत्रित नहीं की जाती।

कल्पना वेबज़ीन का जन्म

२००२-३ में जब कल्पना की प्रथम वेबसाईट बनायी गयी थी उस समय इंटरनेट पर हिंदी का प्रयोग सीमित था। प्रारम्भ में इसका नाम "सृजन" था, इसे "कल्पना" नाम मिला २००५-०६ में जब मैंने इसका अपना डोमेन खरीदा और रजिस्टर करवाया। उन दिनों में हिंदी के मानक फोंट नहीं होते थे, हिंदी की किसी वेबसाईट को पढ़ने के लिए उसके फोंट डाउनलोड करने पड़ते थे। तब किसी हिंदी समाचार पत्र या पत्रिका की वेबसाईट भी नहीं थी। इसलिए कम्प्यूटर पर हिंदी को प्रोत्साहन देने के लिए हम बहुत से ब्लागर साथ जुड़े, उनमें से बहुत से विदेशों में थे, उन्होंने चिट्ठाजगत तथा अन्य ब्लोगरों को जोड़ने वाले एगरीगेटर बनाये, सीमाँतर जैसी पत्रिकाएँ निकालीं। कुछ लोगों ने मिल कर युनिकोड़ फोंट बनाने का काम किया, जिससे हिंदी का मानकीकरण हुआ और हर वेबसाईट पर वही उपयोग किये जाने लगे। मेरा हिंदी का ब्लाग "जो न कह सके" उसी समय शुरु हुआ था। भारत में हिंदी इंटरनेट स्मार्ट-फोनों के साथ फ़ैला लेकिन इसको शुरु करने में हम ब्लोगरों ने महत्वपूर्ण भाग निभाया था।

मेरे पिता ओम प्रकाश दीपक हिंदी के लेखक व पत्रकार थे। वह पहले समाजवादी नेता डॉ. राममनोहर लोहिया से जुड़े थे, बाद में बिहार विद्यार्थी क्रांती के समय वे जयप्रकाश नारायण से जुड़े थे। वह समाजवादी पत्रिका "जन" के सम्पादक थे और दिनमान जैसी पत्रिकाओं से भी जुड़े थे। १९७५ में जब उनका देहावसान हुआ वह ४७ वर्ष के थे और इंडियन एक्सप्रेस की अंग्रेज़ी पत्रिका एवरीमैंस के लिए काम कर रहे थे। तब मैं २१ वर्ष का था और मेडिकल कॉलेज की पढ़ाई में व्यस्त था, उनके लेखन व उनकी सोच को कम जानता था। मेरी माँ कमला दीपक उनके सब कागज़ किताबें जोड़ कर रखे थी, वह उन्हें छपवाना चाहती थीं। मैंने सोचा कि अगर पापा की कागज़ और किताबें छप भी जायेंगी, कितने लोग उन्हें खरीद कर पढ़ेंगे? तब मन में आया कि एक वेबसाईट बनायी जाये जिसमें उनके लेख-आलेख लोग आसानी से और निशुल्क पढ़ सकें। इस तरह कल्पना का जन्म हुआ। मैंने कम्प्यूटर का उपयोग १९८९ में शुरु किया था जब डॉस ओपरेटिन्ग सिस्टम होता था और सब कुछ हाथ से कॊड करते थे। २००२ में मैंने पहले एच.टी.एम.एल. में कोड करना सीखा और कल्पना को कोड लिख कर बनाया था

मैंने कम्प्यूटर का उपयोग १९८९ में शुरु किया था जब डॉस ओपरेटिन्ग सिस्टम होता था और सब कुछ हाथ से कॊड करते थे। २००२ में मैंने पहले एच.टी.एम.एल. में कोड करना सीखा और कल्पना को कोड लिख कर बनाया था। २००८-०९ में सी.एस.एस. सीखा और युनीकोड फोंट का प्रयोग किया तो कल्पना का यह स्वरूप बना। तब से मैं बीच-बीच में कुछ छोटे-मोटे बदलाव करता रहता हूँ लेकिन तब से इसमें कुछ बड़ा बदलाव नहीं आया और अधिकतर सामग्री २००५-२०१० के समय की है। पहले इसमें अन्य कुछ मित्रों के भी पन्ने थे लेकिन समय के साथ उसकी आवश्यकता कम हो गयी, तो वह हटा दिये। २०२३ में इसमें आखिरी बदलाव किये गये, लेकिन अभी भी इसे मैं अपने आप हाथ से लिख कर पुराने तरीके से ही एच.टी.एम.एल. और सी.एस.एस. से कोड करता हूँ।

धीरे-धीरे कल्पना पर पापा के लेखों के साथ परिवार के तथा कुछ मित्रों के कला, लेखन व फिल्मों से सम्बंधित पन्ने भी इसमें जुड़ गये। पहले इनमें अन्य बहुत से व्यक्तियों के पन्ने थे, जो समय के साथ कम हो गयें हैं, क्योंकि आज उनके पास इंटरनेट पर अपने कार्य को दिखाने के अन्य बहुत से तरीके हैं, और मेरे पास वेबसाईट को अपडेट करनॆ का समय सीमित है (क्योंकि समय के साथ, तकनीकी बदलती रहती है और पुरानी वेबसाइट को अपडेट करते रहना पड़ता है।)

डॉ. सुनील दीपक का परिचय

Dr Sunil Deepakमेरा जन्म १९५४ में लखनऊ में हुआ जहाँ मेरे पिता समाजवादी पर्चे "संघर्ष" के लिए काम करते थे। मैं दिल्ली में बड़ा हुआ और वहीं मेडिकल कॉलेज की शिक्षा पूरी की। १९८८ से मैं स्थायी रूप से इटली में रहता हूँ जहाँ मैंने स्वास्थ्य के क्षेत्र में करीब ३५ साल तक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कार्य किया है और बहुत दुनिया घूमी है। शुरु में मैंने कुष्ठरोग निर्मूलन के लिए काम किया और इससे जुड़ी संस्थाओं में महत्वपूर्ण भाग लिया। फ़िर विकलांगता और सामुदायिक स्वास्थ्य के क्षेत्रों में भी बहुत सालों तक काम किया। पिछले बीस सालों में स्वास्थ्य, विकलांगता से जुड़े शोध तथा वंचित वर्ग के सशक्तिकरण से जुड़े शोध के लिए भी कार्य किया। आप चाहें तो मेरे कुछ प्रोफेशनल आलेख व किताबों को डाउनलोड करके पढ़ सकते हैं (यह अधिकतर अंग्रेज़ी में हैं।)

२०१४ में जब मैं साठ वर्ष का हुआ तो मैं इटली की नौकरी छोड़ कर भारत लौटा और करीब दो साल तक वहाँ घूमा और काम किया, इसमें करीब डेढ़ साल तक गौहाटी में रहा। उसके बाद मैंने कुछ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कंस्लटेशन का काम किया और कुछ संस्थाओं के लिए बिना पगार के स्वयंसेवा भी की। २०१७ में मैं सेवानिवृत ही गया, पर मेरा जीवन पहले जैसा कंस्लटेशन और स्वयंसेवा के साथ ही चलता रहा। २०२० में कोविड की महामारी ने हमें घरों में बन्द कर दिया तो सब काम कम हो गये। इसी स्थिति में, घर में बन्द थे जब २०२१ में मैंने एक हिंदी में उपन्यास लिखना शुरु किया। पिछले बीस-बाईस सालों में मैं पहले भी उपन्यास लिखने की कोशिश कर रहा था, लेकिन हर बार थोड़ा-बहुत लिख कर अटक जाता था। मेरे दिमाग में विषेश रूप से तीन कहानियाँ घूम रहीं थीं जिन्हें मैं अपने "अमर, अकबर, एन्थोनी" उपन्यास कहता था, क्योंकि उनमें मनमोहन देसाई की फिल्म की तरह से बिछुड़े परिवारों की बातें थीं। अब २०२३ में वह पहला उपन्यास पूरा हुआ है, उसमें एक बेटे की अपनी गुम हुई माँ को खोजने की कहानी है। मैं उसे छपवाने के लिए प्रकाशक खोज रहा हूँ, लेकिन साथ ही मैंने अपना दूसरा उपन्यास भी लिखना शुरु कर दिया है। उम्र के साथ कुछ अन्य शारीरिक समस्याएँ जुड़ गयीं हैं, इसलिए मालूम नहीं कि कितना और कब तक लिख पाऊँगा, लेकिन मुझे लिखने में बहुत आनंद मिलता है।

आजकल मैं इटली के उत्तरपूर्व में एक छोटे से सुंदर पहाड़ी शहर में रहता हूँ जिसका नाम स्कियो है। मुझे कला, इतिहास, तकनीकी आदि विषयों पर लिखना व पढ़ना बहुत अच्छा लगता है। मौसम अच्छा हो तो मैं अपनी साइकल ले कर घूमने निकलता हूँ। मेरी कोशिश होती है कि हर वर्ष कम से कम कुछ महीने भारत में बिताऊँ। अगर आप मेरा लिखा पड़ना चाहें तो मेरे हिंदी ब्लाग, अंग्रेज़ी ब्लाग और इतालवी ब्लाग पढ़ सकते हैं। जैसा मैंने ऊपर लिखा, आजकल मैं अपने उपन्यास को लिखने में अधिक समय बिताता हूँ इसलिए ब्लागों पर लिखना बहुत कम हो गया है। मुझसे सम्पर्क करने के लिए फेसबुक, टविटर, इंस्टाग्राम, लिंनडइन और ईमेल (sunil.deepak@gmail.com) भी हैं।

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