डा. दुर्गाप्रसाद अग्रवाल का लेखन कल्पना का हिंदी लेखन
उदयपुर में जन्मे डा. दुर्गाप्रसाद ने हिंदी में पीएचडी की तथा राजस्थान में विश्वविद्यालय स्तर पर पढ़ाया और आजकल सेवा निवृत्त हैं. दस पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं और भारत के विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में भी लिखा है. दुर्गाप्रसाद की साहित्य, फिल्म, संगीत, प्रसारण, संचार, टेक्नालोजी इत्यादि विषयों में दिलचस्पी है. रेडियो तथा टेलीविजन से प्रसारण किये हैं और अंतर्जाल पर एक नयी हिंदी पत्रिका के सम्पादन की तैयारी कर रहे हैं. उनके चिट्ठे का नाम है जोग लिखी जिसमें आपको सुंदर साहित्य चर्चा मिलेगी.
डा. दुर्गाप्रसाद अग्रवाल से सम्पर्क के लिए उनका ईमेल का पता हैः dpagrawal24(at)gmail.com (ईमेल भेजते समय (at) के बदले में @ लगा दीजिये)
कल्पना पर प्रस्तुत हैं उनके कुछ आलेखः
- भारतीय समाज में स्त्री की हैसियत
- थोड़ी-सी लिपस्टिक आपके लिए भी, मूल: शोभा डे, अनुवाद: डॉ दुर्गाप्रसाद अग्रवाल
- साहित्य का मेला
- सूचना तकनीक और हिंदी
- स्वयंप्रकाश: साढे तीन दशक का दोस्ताना
- स्वागत का एक तरीका यह भी
- हिन्दी, हिन्दी, कैसी हिन्दी
- हिन्दी लघु पत्रिकाएं और रचनाशीलता
- जावेद अख्तर का भाषण
- इधर की कविताओं को लेकर टिप्पणी जैसा कुछ
- बीच में अंग्रेज़ी मूल: बरखा दत्त अनुवाद: डॉ दुर्गाप्रसाद अग्रवाल
- अमरीका में अखबार
- क्या भूमिका ज़रूरी है?
- नई पीढ़ी के लाड़ले गांधी, 2 अक्टूबर 2006
- बिस्मिल्लाह खान, एक भावाँजली, राजस्थान पत्रिका, 22 अगस्त 2006
- बीस साल बाद, जनसत्ता, 16 जुलाई 2006
- सोनमछली, पुस्तक "आँखां देखी" से, विवेक प्रकाशक भवन, जयपुर (2006)
- है कोई सुनने वाला? 2005
- एक पुस्तकालय के भीतर, जनसत्ता, 13 मार्च 2005
- परदेस में निकला चाँद, मधुमति, फरवरी 2005